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जीने का कोई तरीका नया तुम इजाद करना,
किसी बेवफ़ा से ना प्यार तुम इसके बाद करना...
आज़रे- इश्क गमो के खार के सिवा कुछ नहीं
इस मर्ज़ से दूर रखे, तुम इतनी फरियाद करना...
हो सके तो ज़ेहन से निकाल ही देना ख्याल मेरा
फिर भी आये ख्याल तो कभी-कभी याद करना
मेरा तो क्या है,मैंने बहुत रंग देखे है जिंदगी के
मेरी खातिर तुम खुद को ना कभी बर्बाद करना.....
मजहब तो उलफत में है, नफरत में कुछ भी नहीं
किसी फायदे की खातिर,कभी मत जेहाद करना.....
दिल में खुदा है, किसी इमारत या खंडर में नहीं...
इबादत में उसकी बस किसी दिल को शाद करना...
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