मै दीये से तुम्हे रोशनी दिखाता हु......
तुम यही हो ना, मै अभी आता हु.....
बस आके, तुम्हे सबकुछ बताता हु....
कुछ खास बात नहीं,फिक्र मत करो,
अच्छा देर हो रही है, अब मै जाता हु....
कल फिर आऊंगा, साथ बैठेंगे कही,
फिर तुम्हे पूरा माज़रा समझाता हु.....
यहाँ कुछ भी यहाँ मेरा अपना नहीं,
मै तो बस पुरानी परंपरा निभाता हु.....
आज जब दुनिया चेत्नासुन्य हो रही है,
मै बस उर में चेतना के दीपक जलाता हु.......
स्व-वेदना प्रगट करना,मेरा मकसद नहीं,
मै बस सोयी हुए संवेदना को जगाता हु......
हाँ, यही रास्ता है,तुम आगे चलो,
मै दीये से तुम्हे रोशनी दिखाता हु....
This one feels like having an actual conversation with a person. It's amazingly great!
ReplyDeleteEspecially last line "मै दीये से तुम्हे रोशनी दिखाता हु...." is super great!