Saturday, October 1, 2011
वक़्त के दायरों से भी बड़ी,हमारे रिश्ते की मियाद है
सबसे पहले तुम हो, बाकी सब तुम्हारे बाद है......
जब मिले थे हम,वो शाम मुझे आज भी याद है.....
चुप-चुप से थे दोनों,थोड़े अनजाने अनजाने से
आज भी इन अदाओ में, वही पुराना एह्तियाद है....
आज भी वही रौनक चेहरे पे, आँखों में वही हया
बदली नहीं तुम ज़रा भी, जान के ये दिल शाद है.....
गुजरते वक़्त के साथ औ' भी खुबसूरत हो गयी हो.....
तुम्ही से है जन्नत,तुम से ही मेरी जिंदगी आबाद है......
वक़्त आये या जाये, जिंदगी रहे या खत्म हो जाये.......
कुछ रिश्ते इन मायनो से बिलकुल अलग, आज़ाद है ....
वक़्त के हाथो में तकदीर होती है, ऐसा कहते है लोग
वक़्त के दायरों से भी बड़ी,हमारे रिश्ते की मियाद है....
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