Monday, February 13, 2012

लोग मिलते गए आपस में, "बेवफ़ा" मेरा नाम होता चला गया....





सबको खास बनाने की कोशिश में, मै आम होता चला गया.....
तोहमत मिली,इश्क की गलियों में मै बदनाम होता चला गया ...

हमेशा हर दिल को शाद किया, रोने को अपना कन्धा दिया...
कंधे का भीगना,दिल का टूटना बस निजाम होता चला गया.....

ना मोहब्बत मिली, ना मुरव्वत मिली,मिली तो बस तिजारत
कल तक एहतराम था, आज फ़क़त इलज़ाम होता चला गया .....


हमने तो बस सब को खुश देखना चाहा,इतनी खता है महज़
लोग मिलते गए आपस में, "बेवफ़ा" मेरा नाम होता चला गया....

3 comments:

  1. Ghajab likhi hai bhai ye to. Bas kuch kuch difficult words ka matlab likh diya karo to samjhne me aasani hogi.

    Vaise ye jo photo lagayi hai, iska ghazal se sambadh samajh nahin aaya.

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  2. I told you i am done with your sad gazals but let me tell you i could not ignore this one.
    Truely a master piece. :)

    Abt picture, Mujhe to wo billi wali picture hi pasand hai :P

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