कुछ इकरार में मर गए, कुछ इनकार में मर गए....
कोई हिसाब नहीं, कितने दीवाने तेरे प्यार में मर गए.....
कुछ को सिर्फ जख्म लगा, कुछ जख्म नासूर बन गये ..
कुछ हसरत की मार मरे,बाकी उम्मीदे-इज़हार में मर गए...
कितने जिंदगी का मकसद थी तू, कुछ के ज़ीने की वजह ....
कुछ दिल लगा के,बहुतो दिल ना लगाने की खार में मर गए....
तेरी दीवानगी का जनून ऐसा चढ़ा आशिको पे,बस क्या बताये
इस भीड़-भाड़ में,हम तो यार बिना मतलब बेकार में मर गए.......
कुछ हाँथ की लकीरों में ,कुछ माथे की तकदीरो में ढूढ़ते रहे....
कुछ तो फकीर हो गए, कितने आशिक तेरे इंतज़ार में मर गए.....
really a greaat poem yaar...
ReplyDeletematlb kya feelngs h sai me bahut bhadiya h ye kavita
abi tak udas baithe te...
iss kavita ne humari udasi mita di...
deewane to hum pehele se te...
isne humari yadein jaga di...
Well yaar, your some of the poems are amazing due to the choice of words used. While some are like ki unhe padhte hi majaa aa jaata hai! This is one of those poems. Awesome!!
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